खोपिया होकर मजा देखे ,
जगत - परिवारकी || टेक ॥
खुब तेरी लीला बनी है ,
साजसे बाहर भितर |
सब जगह कुदरत भराकर ,
ले लिया नादारकी ।। १ ।।
क्या तमासे हो रहे ,
तेरे जिगर - आधारसे ।
मरना - जीना कर दिया ,
माया करे करतारकी ॥ २ ॥
दूर सब परिवारसे
बैठा अजर गोदीहिमें |
भक्तको दर्शन दिलाकर ,
दे रहा आधारकी ॥ ३ ॥
मायाके आधीन हैं
जोगी - जुमत अरु बादशाह ।
दास तुकड्या आस लेकर ,
कर रहा भवपार की ॥ ४ ॥
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