अरे मन ! साथ हमारे चलना ।
सदा खुशीमों डुलना ॥ टेक ॥
कभु तो गादी राज मिलत है ,
कबहु फकीरी धरना ।
कभु तो दूध मलीदा खावत ,
कभु घर घर लिख मँगना ॥ १ ॥
इक दिन शाल दुशाला शोभत ,
कोई दिन नंगा रहना ।
कभु तो बैठे हाथी घोडा ,
कभु बन - बनमों घुमना ॥ २ ॥
कभु शोमत गल मोतनमाला ,
कभु तुलसीदल धरना |
कभु तो अंग भबूत बिराजे ,
अपनी तनमों मरना ॥ ३ ॥
तुकड्यादास कहे मनभाई !
सदा असंगी रहना ।
जो पावे सो प्रेम बरत कर ,
आखिर गुरुपद झुलना || ४ ||
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