अब मै अपने पिया - संग लागी ।
रैनदीन रहूँ जागी || टेक ||
मारूँ मार काम - क्रोधनको ,
बनाहि डारूँ बिरागी ।
तोड़ कुलूप किंवाडे खोले ,
इस घरसे वह भागी || १ ||
यह तो सब दिखवावनका है ,
जैसो बाँझ जनागी ।
झूठा जाल रचा नैननमों ,
देख पड़ा तब त्यागी || २ ||
तीनहु ताल राज सब तिनको ,
कौन कहे अब बागी ।
तुकड्यादास कहे सदगुरु बिन ,
रहती थी नित नागी || ३ ||
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