जाग मुसाफिर ! देख जरा
यह काम तेरा सब भूल गया || टेक ||
खास मकान भुला अपना ,
अरु दुसरेके घर राब रहा ।
मालिक होकर खिलकतका ,
क्यों चाकर भेष बढाय लिया || १ ||
राज गया सब नींदनमें ,
अरू काज गया भोलेपनमें ।
कहाँतक सोता बैठा है ?
यह चोरन संग उठाय लिया || २ ||
बीत गयी उमरी सारी ,
अब मौतमें भी कुछ देर नहीं ।
खास पता करके अपना ,
फिर कालनका डर दूर गया || ३ ||
छोड़ जगतकी लालचको ,
किस चोर - इजाजत बैठा है ।
तुकड्यादास कहे जागो अब ,
गुरू - चरण क्यों दूर किया ? || ४ ||
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