गुरुराज दयाल ! दया करके ,
मोहे भवसारसे पार करो || टेक ||
नाम तुम्हारा पावन है ,
इन तीनों लोक - सराइनमें ।
पाप कटाकर दीननका ,
यह नौका पार उतार करो ॥ १ ॥
भूला हूँ जगबीच खड़ा ,
कोइ आस - मिटावन देख रहा ।
आप बिना दुसरा न दिखे ,
जग तारक ! दास - उद्धार करो ॥ २ ॥
लख चौरासी भूल पड़ा ,
बिरला मानुज - तन पाया हूँ ।
फिरसे न मिले यह बक्त गया ,
अब जन्म - मरनसे हार करो ॥ ३ ॥
आस तेरी घरके यहाँपे ,
दिन दास भिखारी आया हूँ
वह तुकड्यादास भुला सुधरो ,
वरदानसे मन मार करो ॥ ४ ॥
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