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सप्टेंबर, २०२३ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

श्री शारदा माता की आरती

  ||श्री शारदा माता की आरती|| हे शारदे! कहाँ तू बीणा बजा रही है | किस मंजुज्ञान से तू जग को लुभा रही है | किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही है, विनती नहीं हमारी क्यों मात सुन रही है | हम दीन बाल कब से विनती सुना रहे हैं, चरणों में तेरे माता हम सिर नवा रहे हैं | अज्ञान तुम हमारा माँ शीघ्र दूर कर दे, द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में माँ शारदे तू भर दे | बालक सभी जगत के सुत मात है तिहारे, प्राणों से प्रिय तुझे है हम पुत्र सब दुलारे | हमको दया मयी ले गोद में पढ़ाओ, अमृत जगत का हमको मां शारदे पिलाओ | ह्रदय रुपी पलक में करते है आहो जारी, हर क्षण ढूंढते है माता तेरी सवारी | मातेश्वरी तू सुन ले सुन्दर विनय हमारी, करके दया तू हरले बाधा जगत की सारी |

हे सरस्वती नमन

हे सरस्वती नमन तुझ्या पदकमली तवठाई वृत्ती रमली  हे सरस्वती नमन तुझ्या पदकमली…. विश्वाची चालक शक्ती  असशी तू प्रेमळ मूर्ती  देवादिक तुजला नमिती  गुण गाता रसना थकली  हे सरस्वती नमन  तुझ्या पदकमली….. चौसष्ठ कला विद्येला  शास्त्रगुणी गुंफुनी माला  गणराज अर्पितो तुजला  करी वृष्टी सृष्टी सुफली  हे सरस्वती नमन  तुझ्या पदकमली….  विद्येचा छंद जयाला  तो नमिल देवी तुजला  तव कृपाकटाक्ष ही पडला  तत्‌ कंठी विद्या ठसली हे सरस्वती नमन  तुझ्या पदकमली… 

श्री गुणवंत बाबाची आरती

  ॐ गुणवंत बाबा की आरती (चाल - लोपले ज्ञान जागी) आरती महासंता गुरुराया समर्था |  भक्ति भावे ओवाळीतो  विश्वप्रभु गुणवंता || धृ.||  पिता तवा संपतजी माता सुलाई पोटी अवतरली महामूर्ति  जन कल्याणासाठी ||१|| त्यागुनिया मोह माया।  घरदरा सखरा रंगविली ब्रह्मरंगी  केली पावन ती काया ।।२।। गोजीरे हे रुप देवा आम्हा घडावी सेवा तुमचिया पद कमळी  लाभे आरोग्य ठेवा ||३||  तव नाम दुःख हरति।  येइ 'गणेशा' स्फूर्ति  संतोषीले नर नारी।  झाली जगभर किर्ती।।४।। आरती... 23

हनुमंतरायाची आरती

जय देवा हनुमंता जय अंजनीसुता ॐ नमो देवदेवा रामरायाच्या दूता आरती ओवाळीन  ब्रम्हचारी पवित्रा || धृ.|| वानररुपधारी ज्याची अंजनी माता हिंडता वनांतरी भेटी झाली रघुनाथा धन्य तो राम्बक्त  ज्याने मांडीली कथा ||१|| सितेच्या शोधासाठी रामे दिधली आज्ञा उल्लंघुनी समुद्रतीर गेला लंकेच्या भुवना शोधुनी अशोकवना  मुद्रा टाकीली खुणा ||२|| सितेशी दंडवत दोन्ही कर जोडुन वन हे विध्वंसिले मारिला अखया दारुण परतोनी लंकेवरी  तव केले दहन ||३|| निजबळे इंद्रजीत होम करी आपण तोही त्वा विध्वंशिला लघुशंका करुन देखोनी पळताती  महाभूते दारुण ||४|| राम हो लक्ष्मण जरी पाताळी नेले तयांच्या शुद्धीसाठी जळी प्रवेश केले अहिरावण महीरावण  क्षणामाजी मर्दिले ||५|| देऊनी भुभु:कार नरलोक आटीले दिनानाथ माहेरा त्वां स्वामिसी सोडविले घेऊनी स्वामी खांदी  अयोध्येसी आणिले ||६||

आरती राष्ट्रसंता

  आरती राष्ट्रसंता, जगद्गुरु कृपावंता| रोमरोमी विश्वचिंता, योगियाच्या महंता||धृ|| ध्वज तू कळसावरी, सर्वात्मक गुरुदेवा| डोलले धर्म सारे, कैसी अपूर्व ती सेवा||१|| धावत्या पावलांनी, लाखों गावींच्या शिला| चैतन्ये उठविल्या, धन्य तुझी दिव्य लीला||२|| पाषाण अस्त्र केले, धर्मा दिली नव-कांती| कैवल्य माणिकाची, जिंकी काळासहि शांती||३|| गर्जली 'ग्रामगीता', वेधी विश्वचि खंजरी| समुदाय जीवनाचा, स्वर्ग फुलाया भूवरी||४|| समन्वय महाज्योती, तुकडोजी ब्रम्हमूर्ती| गुरुदास लीन पायी, द्यावी आपुली स्फूर्ती||५|| (रचियता- साहित्यरत्न सुदामदादा सावरकर)

जय जय भवानी, मनरमणी,

जय जय भवानी, मनरमणी, माता पुरवासिनी चवंदा भुवनांची , स्वामिनी, महिषासूर मर्दिनी जय जय भवानी  || धृ. || नैसुनी  पाटाउ पिवळा, हार शोभे गळा | हाती  घेउनिया त्रिशूळा | भाळी कुमकुम  टिळा  || जय जय भवानी  || १ || अंगी लयुनिया काचोळी, वर मोत्यांची जाळी | ह्रुदयी शोभतसे पदकमली | कंठी हे गरसोळी || जय जय भवानी  || २ || पायी घांगरीया रुण झुन, नाकी मुक्ताफाळ | माथा  केश हे कुरळ |  नयनी हे काजळ ||  जय जय भवानी || ३ || सिंहावरी  तू बैसुनी,  मारिती दानवगण | तुजला विनवितो | निशी दिन गोसावी नंदन  ||  जय जय भवानी  || ४ ||  

जय जय जगदंबे | श्री अंबे

जय जय जगदंबे | श्री अंबे | रेणुके कल्पकदंबे | जय जय || धृ || अनुपम स्वरुपाची तुझी धाटी | अन्य नसे या सृष्टी | तुज सम रूप दुसरे, परमेष्टी | करिता झाला कष्टी | शशीरस रसरसला ,वदनपुटी | दिव्य सुलोचन दृष्टी | सुवर्ण रत्नांच्या, शिरी मुकुटी | लोपती रविशशी कोटी | गजमुखी तुज स्तविले हेरंबे | मंगल सकळारंभे || जय जय || १ || कुमकुम चिरी शोभे मळवटी | कस्तुरी टिळक लल्लाटी | नासिक अति सरळ, हनुवटी | रुचिरामृत रस ओठी | समान जणू लवल्या, धनुकोटी | आकर्ण लोचन भ्रुकुटी | शिरी नीट भांगवळी, उफराटी | कर्नाटकची घाटी | भुजंग नीळरंगा, परी शोभे | वेणी पाठीवर लोंबे || जय जय || २ || कंकणे कनकाची मनगटी | दिव्य मुद्या दश बोटी | बाजूबंद जडे बाहुबटी | चर्चुनी केशर उटी | सुगंधी पुष्पांचे हार कंठी | बहु मोत्यांची दाटी | अंगी नवी चोळी, जरीकाठी | पीत पितांबर तगटी | पैंजण पदकमळी, अति शोभे | भ्रमर धावती लोभे || जय जय ||३ || साक्षप तू क्षितिच्या तळवटी | तूचि स्वये जगजेठी | ओवाळीत आरती, दिपताटी | घेऊनी कर संपुष्टी | करुणामृत हृदये, संकटी | धावसी भक्तांसाठी | विष्णूदास सदा, बहुकष्टी | देशील जरी नीजभेटी | तरी मग काय उणे, या लाभ...

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी

जय देवी जय देवी जय महालक्ष्मी। वससी व्यापकरुपे तू स्थूलसूक्ष्मी॥ करवीरपुरवासिनी सुरवरमुनिमाता। पुरहरवरदायिनी मुरहरप्रियकान्ता। कमलाकारें जठरी जन्मविला धाता। सहस्त्रवदनी भूधर न पुरे गुण गातां॥ जय देवी जय देवी...॥   मातुलिंग गदा खेटक रविकिरणीं। झळके हाटकवाटी पीयुषरसपाणी। माणिकरसना सुरंगवसना मृगनयनी। शशिकरवदना राजस मदनाची जननी॥ जय देवी जय देवी...॥   तारा शक्ति अगम्या शिवभजकां गौरी। सांख्य म्हणती प्रकृती निर्गुण निर्धारी। गायत्री निजबीजा निगमागम सारी। प्रगटे पद्मावती निजधर्माचारी॥ जय देवी जय देवी...॥   अमृतभरिते सरिते अघदुरितें वारीं। मारी दुर्घट असुरां भवदुस्तर तारीं। वारी मायापटल प्रणमत परिवारी। हें रुप चिद्रूप दावी निर्धारी॥ जय देवी जय देवी...॥   चतुराननें कुश्चित कर्मांच्या ओळी। लिहिल्या असतिल माते माझे निजभाळी। पुसोनि चरणातळी पदसुमने क्षाळी। मुक्तेश्वर नागर क्षीरसागरबाळी॥ जय देवी जय देवी...॥

जय अम्बे गौरी,

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को । उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै । रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी । सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती । कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती । धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे । मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों । बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥ ॐ जय अम्बे गौरी..॥ भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी । [खड्ग खप्पर धारी] मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ ॐ ज...

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी!

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे। भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥   जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥   मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी। तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥   तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥ पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥   तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥   तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥   दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥   विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥   तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा। तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥   जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥