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हमारा प्यारा हमें जगतसे

हमारा प्यारा हमें जगतसे ,  अखेर पालनवार है ।  पूरा भरोसा लिया है दिलमें ,  यही भजनका सार है ॥ टेक ॥  न हमको करना कवीसरीको ,  न ज्ञान हममें यार ! है ।  बने है बंदे मगजके पूरे ,  हुए जगतसे न्यार है ॥ १ ॥ न हम समझते किसीकी चर्चा ,  खुशीसे बेडा पार है ।  न हम लड़ेंगे किसीसे बातें ,  सदा धरे निर्धार हैं || २ || न हम पढेंगे किताब पोथी ,  गुरुचरणपर प्यार है ।  रखा भरोसा उसीका दिलमें ,  हमें वही दिलदार है || ३ ||  चाहे बनालो लगे वहीसा ,  सभी तुम्हें अधिकार है ।  वह दास तुकड्या बना है पागल  जगतसे खाई हार है || ४ ||

अमरपुरीमें बजती हैं नौबत

अमरपुरीमें बजती हैं नौबत ,  आओ सखी ! मिल जायेंगे ॥ टेक ॥  त्रिकुट शिखरपर जोगि मनोहर ,  नित उत दर्शन पायेंगे ।  भ्रमर - गुंफा में गहरि है नदिया ,  सब सखियाँ मिल न्हायेंगे ॥ १ ॥  हृदयकमलमों निर्मल ज्योती ,  नित उत ध्यान लगायेंगे ।  नाभिकमलमों खड़ि है नैया ,  सीधी राह मिलायेंगे ॥ २ ॥  निर्मल जान दरसका भूखा ,  पाते वहि मिल जायेंगे ।  तुकड्यादास पिया -घर जावे ,  वापिस नहि फिर आयेंगे ॥ ३ ॥ 

हे यार ! मेरी नज़र में आना

हे यार ! मेरी नज़र में आना ,  काहेको जाता दूर रे ?  बने हैं आशक दरसके तेरे ,  करो अरज मंजूर रे ॥ टेक ॥  वह तेरा जलवा कहाँ छुपा है ?  लगी हमें हुरहुर रे ।  बिना दरसके चैन न पावे ,  काहे छुपावत नूर रे ॥ १ ॥  सुना है मैंने ' दयालु तू है ' ,  बना अभी क्यों क्रूर रे ? ।  करम हमारे फूटे पड़े हैं ,  आडा पड़ा भवपूर रे ॥ २ ॥  क्या तेरे मतमे खडी है आडी ,  लगादि है झूरझूर रे ।  वह दास तुकडया बना दिवाना ,  नहीं रहा यह शहूर रे ॥ ३ ॥ 

कहाँ बनाऊँ मैं गर्ज अपनी

कहाँ बनाऊँ मैं गर्ज अपनी ,  कौन सुने बिन प्रभू ! तुम्हारे ।  सभीके अर्जीपे ख्याल देकर ,  तुम्ही करोगे निकाल सारे ॥ टेक ॥  न बाप भाई दया करेंगे ,  कहे वे स्वारथके गीत प्यारे ।  मुझे तराना किसे पसंद है ,  जो तारता है ये भक्त सारे ॥१ ॥  बडा कठिन है रचा पसारा ,  न प्रेम पलभी लगे तुम्हारे ।  इसीमें मरना है काम मेरा ,  सिखाते अपनीहि राह सारे ॥ २ ॥  कई गये और कई चले हैं ,  न राह अपनी जगह सुधारे । !  हे नाथ ! हमपर करो दया अब ,  त्यजे सभी बस रहे सहारे ॥३ ॥ यह शान शौकत को जाल मेरी ,  लगादो राखहिको अंग मेरे ।  वह दास तुकडया मिला तुहीमें ,  ये अर्ज पेशीमें हैं निछारे ॥ ४ ॥  

किसे मैं देखूं बिना तुम्हारे

किसे मैं देखूं बिना तुम्हारे ?  औरन के संग रीत नहीं है ।  न ज्ञान मुझमें किसे सुनाऊँ ,  अगर कहूँ तो प्रीत नहीं है । टेक ॥  यह आस मनमें लगी हुई है ,  प्रभू चरणपे जगी हुई है ।  दिदार देना खुशी तुम्हारी ,  प्रीतमके संग जीद नहीं है ॥ १ ॥  लगे रहेंगे वह नाम पीकर ,  जगे रहेंगे सबर- शुकरमें ।  न चाह राखूँ जगत्‌की दिलमें ,  कामनके घर नीत नहीं है ॥ २ ॥  जहाँ फिराऊँ नजरको अपनी ,  सभी लगे हैं अपन में सारे ।  न कोउ किसपर रहम करेंगे ,  यह बात मोमन होत नही है ॥ ३ ॥  वह दास तुकडयाको आस तेरी ,  भली समझ या बुरी रहे फिर ।  न कोउ चालक रहा हमारा ,  बिना प्रभू एक मीत नहीं है ॥४ ॥ 

हे यार ! क्योंकर सता रहे हो

हे यार ! क्योंकर सता रहे हो ?  न कोई हमको बिना तुम्हारे || टेक ||   ये सारे स्वारथके सारथी हैं ,  नजरमें दिखते जो आज मेरे ।  बिना तुम्हारी दया प्रभूजी !  सभी भगेंगे अखेर प्यारे ॥१ ॥ यह सारी दुनियाकी राह झूठो ,  सभी दिखे मतलबीपियारे  न कोइ मुझको तरानेवाला ,  बिना तुम्हारी दया निहारे ॥ २ ॥  न देख मेरी चुकीभुलीको ,  ले पास अपने दिजो सहारे ।  वह दास तुकड्याकी लाज राखो ,  ये तोड़करके विनास सारे ॥३ ॥ 

मेरे किस्मत टूट पडे है क्या,

  मेरे किस्मत टूट पडे है क्या,  या मेरा तकदिर घुमा रहा है || टेक ||  न हमने देखा कमीमी तीरथ ,  न हमने पूजी कभीभी मूरत ।  न हमने देखी खुदाकी सूरत ,  बेहाल दिलपर रमा रहा है || १ ||  न साथ लीनी किसोकी संगत ,  कभुं न बैठे किसीकी पंगत ।  हमेशा खाना पीना औ सोना ,  यह ख्याल मनमें जमा रहा है ॥ २ ॥  कभू न कीना धरम - करमको ,  कभू न राखा किसी शरमको ।  बढ़ा रहा हूँ खुदी भरमको ,  औ दुर्जनोंसे नमा रहा है ॥ ३ ॥  कहाँ लगेगा हमें ठिकाना हे यार !  किसकी गलीमें जाना ' ।  वह दास तुकड्या बना दिवाना ,  गुरुचरणको कमा रहा है ॥४ ॥