चाल चला ( तर्ज : ना मानूं , ना मानूं रे ... ) चाल चला , चाल चला , चाल चलारे ! । फेर आखरी में कुंजन की चाल चलारे ॥ मेरे दिलको चुराये भली चाल चलारे ! || टेक || पीछे चुराई थी गोपी हजारो । तेरा चोरी का धंदा तू नही भूलारे , मोहन ! ॥१ ॥ कितने गोपालोंको मारा बगल में । हम - जैसे को भी तो मोह डालारे , मोहन ! ॥२ ॥ तू भी अजब , तेरी बन्सी अजब है । दिखने को काला , तेरी वैसी कलारे मोहन ! || ३ || मैंने कहा की अब होगा सीधा । भगतों के मनमें मार डालारे , मोहन ! ॥४ ॥ हमको तो तेरे बिना , सूझे ना कोई । तुकड्याको घेर लिया , बन्सिवालारे , मोहन ! || ५ || तिरोडा ; दि . ४-१०-६२